
चौकीदार, चोर चौकीदार के इस शोर में पढ़िए एक चौकीदार का इंटरव्यू
चौकीदार क्या है ? पहले ये सवाल कक्षा 5 के छात्र से भी पूछा जा सकता था लेकिन अब ये राजनीतिक सवाल बन चुका है.एक लंबे अरसे से धर्म और जाति के बंधन में जकड़ी रही भारतीय राजनीति अब चौकीदारी पर जाकर फंस गई.वर्षों तक कौन जात हो का सवाल पूछने वाला स्टार एंकर अब शायद लोगों से पूछता दिखे की क्या आप भी चौकीदार हैं ?खैर इस खेल में चौकीदार फुटबॉल बना हुआ है.कभी इस पाले में तो कभी उस पाले लेकिन पड़नी आखिर में लात ही है.वैसे मजेदार बात ये है की इस चौकीदार चौकीदार के खेल में चौकीदारों को ही कोई खास फर्क नहीं पड़ता.वो पहले भी एक सामान्य भारतीय की तरह अपना शोषण करवा के काम कर रहा था अब भी करेगा.
इसी बीच हमने एक चौकीदार का इंटरव्यू करने के लिए अपने स्टार एंकर को भेजा.एंकर साहब इंटरव्यू करने पहुंचे.चौकीदार थोड़ी दूरी पर जा रहा था तो एंकर ने चौकीदार को आवाज लगाई.चौकीदार ने सुना नहीं.कई बार आवाज लगाने पर जब सुना तो कहने लगा की हमें लगा वो दूर नेताजी जा रहे हैं आप उन्हें बुला रहे होंगे.पता नहीं आजकल उन्हें क्या हो गया है खुद को चौकीदार चौकीदार चिल्लाते घूमते रहते हैं.वैसे भी आप उन्हीं के दरवाजे ज्यादा नजर आते हैं.
चौकीदार के जवाब की आखिरी लाइन सुनकर बिचारा एंकर सहम गया.समझ गया की जब से नेताजी खुद को चौकीदार कहने लगे हैं ये भी चौड़े होने लगे हैं.खैर थोड़ा संभलने के बाद सवाल पूछना शुरू किया-
एंकर-ये नेताजी कह रहे हैं की मैं चौकीदार हूं.सबमें अभियान चला रखा है.आप इस पर क्या कहेंगे ?
चौकीदार-भाई क्या बताया जाए.पिताजी ने बोला था पढ़ लिख लो.बात नहीं माने तो आगे पेट पालने के लिए चौकीदारी करनी पड़ी.जैसे तैसे जिंदगी कट रही थी.तब तक एक नेताजी भागे भागे आए कहने लगे अपनी वर्दी हमें दो हम भी चौकीदार हैं.हम चक्कर में पड़ गए.कल तक ये आदमी हम पर अकड़ दिखाता रहता था आज कह रहा है की मैं भी चौकीदार हूं.मैं ने जब जरा सी आनाकानी की तो बोले अरे हमें देश बचाना है तुम अपने चक्कर में पड़े हो.मैंने सोचा की इस आदमी के घर में खुद न जाने कितने चोर भरे पड़े हैं ये कैसे चौकीदारी करेगा भाई ?
इतने में एंकर (टोकते हुए)-अरे साफ साफ बोलो तुम्हें ये अभियान कैसा लग रहा है?
चौकीदार-(भड़कते हुए) अरे वही तो बता रहे थे.पूरी बात तो सुनो.इतने में दूसरे नेताजी दौड़ते हुए आ गए.वो बोले चौकीदार चोर है.इतने सालों के काम में हमने रात में एक झपकी तो मारी हैं लेकिन चोरी जैसा पाप कभी नहीं किया.मन तो किया की लाठी उठाए और दूसरे नेताजी को बताएं की कौन चोर है और कौन डकैत है लेकिन फिर सोचा बाप दादा के जमाने से नेतागिरी कर रहा है पंगा लेना ठीक नहीं है.अब हमारे सामने दोनों लड़े पड़े हैं.अब हम चक्कर में पड़े किसके साथ क्या किया जाए.
एंकर-अरे....(टोकने की कोशिश)
चौकीदार-तुम भी नेता न बनो.थोड़ा सुनने की आदत न डालो.वहां नेता लोग के पीछे दौड़े दौड़े घूमोगे यहां 5 मिनट शांति से सुनना मुश्किल है.तो सुनो जो नेताजी वर्दी मांग रहे थे उन्हें अपनी हमने वर्दी दे दी.वो लेकर भाग गए.हम से वादा करके गए हैं की नई दिलवाएंगे.दूसरे वाले उनके पीछे पीछे भाग गए.तुरंत तो यही लगा की हमारे दरवाजे से भागे नहीं तो यहां कहीं लड़ पड़े तो एक पुलिस केस हमारे ऊपर हो जाएगा.सुना है तुम्हारे ऑफिस तक में तो ये लोग लफड़ा कर देते हैं...
(लोटे से पानी पीने के बाद)
अब तुम्हारे मुद्दे पर आते हैं.देखो नेता लोग का मामला ये है की चुनाव से पहले सब मुखिया हैं,चुनाव के टाइम चौकीदार.चौकीदार काहे हैं ? हम यहां 12 घंटे की नौकरी करें.ओवरटाइम का कुछ पता नहीं.शौचालय का कुछ पता नहीं.मजबूरन स्वच्छ भारत की धज्जियां हम उड़ाते हैं.पानी आसपास वाला कोई पिला दे तो ठीक वर्ना उसका भी पता नहीं.पड़ोस वाला हैंडपंप खराब हो गया नेताजी झांकने आए नहीं.नेताजी को मालूम है की चौकीदार कम पैसे में कितनी दिक्कत से नौकरी कर रहा है तो लाओ उसी की वर्दी चुनाव के टाइम पहन ली जाए..खैर मैं असली बात बताऊं.चुनाव का टाइम है.नेताजी वर्दी ले गए हैं.हमारी वर्दी पुरानी हो गई थी.नई बनवानी थी तो चुनाव का टाइम का वादा है पूरा ही कर देंगे.तो कुल मिलाकर हमें नई वर्दी मिल जाएगी.बाकी सबका अपना अपना धंधा है.
एंकर-अच्छा दूसरे वाले जो कह रहे थे चौकीदार चोर है उनको क्या कहेंगे ?
चौकीदार-अब बताया तो की बाप दादे के जमाने से राज करते हैं.पिछली बार इनके चमचों ने जमकर लूट मचाई.अब हम कहें तो कहें क्या,बोले तो बोलें क्या ?
एंकर-तुम्हारा नाम लेकर ऐसे लड़ते हैं तुम्हें बुरा नहीं लगता ?
चौकीदार-अरे यार ये लोग अपने मां बाप का नाम लेकर तो लड़ जाते हैं.हम क्या चीज हैं.देखो सारी बात बवाल का परिणाम एक है.वो ये की हमें मिलेगी नई वर्दी बाकी दुनिया से हमें कोई लेना देना नहीं.तुम भी जाओ अपने घर.होली का दिन है गुझिया बनावाने में बीवी की मदद करो और खाओ.ज्यादा चक्कर में मत पड़ो वर्ना होली के दिन इधर उधर घूमोगे तो घर से हाथ धो बैठोगे...
एंकर चौकीदार को नमस्कार करके जा चुका है.रास्ते में चौकीदार की बातें सुनकर यही सोच रहा था की 4-6 महीने में एक बार पब्लिक के बीच जरूर जाना चाहिए.
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