
मै उनके बिना नहीं रह सकता फिर भी मै खुश हूँ की उन्हें तकलीफ से मुक्ति मिल गयी
हम शादी से पहले कभी एक दूसरे से नहीं मिले न ही उससे पहले हमने कभी ये जाना की प्यार किसे कहते है। शादी के बाद ही हमने एक दूसरे को जाना और पति पत्नी से पहले हम एक दूसरे के दोस्त बने। हम एक सामान्य भारतीय जोड़े जैसे ही थे, पत्नी घर की जिम्मेदारी उठाती और मुझे हर तरह से सहयोग करती। मै भी पत्नी का सम्मान करता और उनकी हर बात सुनता था।
एक समय ऐसा भी था जब मेरा बिज़नेस अच्छा नहीं चल रहा था पर मेरी पत्नी हमेशा एक चट्टान जैसे मजबूत बनी रही और मुझे हिम्मत देते रहीं। आज भी जब याद करता हूँ जब हम सर्दियों में एक साथ चाय पिया करते थे तो ऐसा लगता है जैसे कल की ही बात हो। हमारे रिश्ते में कभी भी कोई कड़वाहट नहीं रहीं और पत्नी ने अपने सारे गुण हमारे बेटों को सिखाये।
रिटायरमेंट के बाद एक दूसरे के साथ ज्यादा समय बिताने का मौका मिला। सब कुछ बेहद ही सुखद चल रहा था तभी एक दिन पत्नी को कुछ पेपर पर दस्तखत करना था पर अचानक से वो अपना दस्तखत ही भूल गयी। मै उन्हें डॉक्टर के पास ले कर गया। डॉक्टर ने जाँच करके बताया की अल्जाइमर की शुरुआत है। पत्नी की उम्र उस समय ७० की थी। मुझे ऐसा लगा की जैसे संसार ही ख़त्म हो गया पर मैंने हिम्मत रखी और पत्नी की देखभाल करने लगा। कुछ समय बाद वो कमजोर होने लगी यंहा तक की एक ट्यूमर भी हो गया और उसका ऑपरेशन कराना पड़ा। सर्जरी के बाद उनकी मानसिक अवस्था काफी ख़राब हो गयी।
एक समय ऐसा भी आ गया की वो हर किसी से डरने लगीं, उन्हें लगने लगा की कमरे में बैठा हर कोई उन्हें नुकसान पंहुचा सकता है। यंहा तक की वो मुझसे भी डरने लगी। आखिरी के चार सालों में वो ये भी भूल गयी की मै कौन हूँ। पर मै अपनी तरफ से पूरी कोशिश यही करता था की उन्हें कम से कम तकलीफ हो और बचा हुआ समय हम साथ में अच्छे से बिता सकें।
उस समय पर मुझे ये महसूस हुआ की मै उनसे कितना प्यार करता हूँ। मै बस यही चाहता था की अब उन्हें और तकलीफ न हो। 31 जुलाई सुबह 5 बजे हमने आखिरी चाय साथ में पी। और वो इस तकलीफ से हमेशा के लिए मुक्त हो गयी। इन आखिर के 12 साल मैंने उन्हें कभी भी 30 मिनट से ज्यादा अकेले नहीं रहने दिया और अब मै अकेले रहना सीख रहा हूँ। पर यही सच्चा प्यार है की मृत्यु के बाद और भी गहरा होता जा रहा है। यद्यपि मै उनके बिना नहीं रह सकता फिर भी मै खुश हूँ की उन्हें तकलीफ से मुक्ति मिल गयी।
(ये स्टोरी Humans of Bombay के फेसबुक पेज से ली गयी है)
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